Friday 3 August 2018

Saffron Terror name abuses millions of Hindus (भगवा आतंक का नाम करोड़ो हिन्दुओ को गाली )

भगवा आतंक वाद कहने वालों ने गीता ,रामायण ,राणाप्रताप शिवाजी का अपमान किया है
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आज भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है । परंतु  भगवा ध्वज भारत का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ध्वज है  यह त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। हजारों सालों से भारत के शूरवीरों ने इसी परम पवित्र भगवा ध्वज की छाया में लड़कर देश की रक्षा के लिए प्राण न्यौछावर किये।प्रभु श्री राम, भगवान श्री कृष्ण और अर्जुन के रथों पर यही ध्वज लहराता था।भगवा रंग उगते हुए सूर्य का रंग है; अग्नी के ज्वालाओ रंग है। उगते सूर्य का रंग और उसे ज्ञान, वीरता का प्रतीक है  और इसीलिए हमारे पूर्वजों ने इसे सबका प्रेरणा स्वरूप माना।भगवा ध्वज की रक्षा और सम्मान के लिये लाखों हिंदु जन अपने जीवन की न्योछावर कर दिए और करोड़ो करोड़ो हिन्दू भगवा के आगे शीस झुकाने को  तैयार हैं।
    भगवा आतंक का नाम देकर सेकुलरिज्म केे पुजारियों ने जो पाप किया है उसके लिए भारत देश कभी उनको माफ नही करेगा ,  उन्हों ने न केवल भगवा का अपमान  किया  बल्कि 100 करोड़ हिन्दुओ का अपमान किया है ,बीर शिवाजी का अपमान किया है ,राणाप्रताम जैसे बीर राष्ट्र नायक का अपमान किया है ,गीता रामायण का अपमान किया है ।
भगवा अपना जीवन है
भगवा अपनी पहचान है
भगवा से ही हिंदू है
भगवा से हिंदुस्तान है !
                                   राजेश मणि त्रिपाठी 

To travel without visas (बिना वीजा के सफर करें)

आप इतने देशो में बिना वीजा के  जा सकते है
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किन देशों में नहीं लगता इंडियन्स का वीजा
भूटान
ब्रिटिश वर्जिन आइलैंड
कुक आइलैंड
डोमनि‍क
अल सल्‍वाडोर
ग्रेनेडा
हांगकांग
जमैका
माइक्रोनेशि‍या
नेपाल
नेऊ
सेंट किट्स एंड नेविस
सेंट विन्सेट एंड द ग्रेनाडाइन्स
समाओ (Samoa)
सेशेल्‍स (Seychelles)
त्रिनिदाद एंड टोबैगो(Trinidad and Tobago)
टर्क्स एंड काइकोस(Turks and Caicos)
वनुआटू(Vanuatu)

इन देशों में मिलेगा वीजा ऑन अराइवल
कम्बोडिया (Cambodia)
केप वर्डे (Cape Verde)
कोमरोस (Comoros)
इक्वाडोर (Ecuador)
इथोपिया (Ethiopia)
फि‍जी (Fiji)
इंडोनेशिया (Indonesia)
जॉर्डन (Jordan)
केन्या (Kenya)
लाओस (Laos)
मेडागास्कर (Madagascar)
मालदीव (Maldives)
मॉरीशस (Mauritius)
पलाउ (Palau)
थाईलैंड (Thailand)
टुवालू (Tuvalu)
युगांडा (Uganda)

Thursday 2 August 2018

गजनी का एक बाजार जहा हिन्दू औरतो की होती थी नीलामी

https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2081523322174490&id=2066410183685804

गजनी का एक बाज़ार-जहाँ हिन्दु औरतों की नीलामी हुई थी
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हिन्दुओं को समझ लेना चाहिये कि भगवान भी अव्यवहारिक अहिंसा व अतिसहिष्णुता को नपुसंकता करार देते हैं ।
उनकी रक्षा के लिये न तो कोई अवतार हुआ और न ही कोई देवी देवता आये ! महमूद गजनवी ने इन हिन्दु लड़कियों और औरतों को ले जा कर गजनवी के बाजार में समान की तरह बेच ड़ाला ! विश्व के किसी धर्म के साथ ऐसा अपमान नही हुआ जैसा हिन्दुओं के साथ ! और ऐसा इसलिये हुआ क्योंकि इन्होंने तलवार छोड़ दी.. ! सोचते हैं कि जब अत्याचार बढ़ेगा तब भगवान स्वयं उन्हें बचाने आयेंगे.. !
क्यों... ????????????
तुम्हारी तैयारी क्या है.. ?
या तो मार डालो... या मर जाओ... 
पर तमाशा मत देखना.. मर भले जाना.. किन्तु लडे बिना नहीं.. !
और मरना भी क्यों... धरती हमारी है ... किसी छोटे पजामे के बाप की नहीं.. !
आज ये सच्चाई पढ कर आँख से आंसू आ जाएंगे ;----
हिन्दोस्तान..... नीलामे दो दीनार..... "
समयकाल.. ईसा के बाद की ग्यारहवीं सदी.. !
भारत अपनी पश्चिमोत्तर सीमा पर अभी-अभी ही राजा जयपाल की पराजय का साक्षी हुआ था .. !
इस पराजय के तुरंत पश्चात का अफगानिस्तान के एक शहर..... गजनी का एक बाज़ार..!
ऊंचे से एक चबूतरे पर खड़ी कम उम्र की सैंकड़ों स्त्रियों की भीड़.. 
जिनके सामने सैंकड़ों.. या शायद हज़ारों वहशी से दीखते बदसूरत किस्म के लोगों की भीड़ लगी हुई थी.. जिनमें अधिकतर अधेड़ या उम्र के उससे अगले दौर में थे.. !
कम उम्र की उन स्त्रियों की स्थिति देखने से ही अत्यंत दयनीय प्रतीत हो रही थी.. उनमें अधिकाँश के गालों पर आंसुओं की सूखी लकीरें खिंची हुई थी.. मानो आसुओं को स्याही बना कर हाल ही में उनके द्वारा झेले गए भीषण दौर की कथा प्रारब्ध ने उनके कोमल गालों पर लिखने का प्रयास किया हो.. ! एक बात जो उन सबमें समान थी... किसी के भी शरीर पर वस्त्र का एक छोटा सा टुकड़ा नाम को भी नहीं था.. सभी सम्पूर्ण निर्वसना ..... !
सभी के पैरों में छाले थे.. मानो सैंकड़ों मील की दूरी पैदल तय की हो.. !
सामने खड़े वहशियों की भीड़ अपनी वासनामयी आँखों से उनके अंगों की नाप-जोख कर रही थी.. ! कुछ मनबढ़ आंखों के स्थान पर हाथों का प्रयोग भी कर रहे थे.. !
सूनी आँखों से अजनबी शहर और अनजान लोगों की भीड़ को निहारती उन स्त्रियों के समक्ष हाथ में चाबुक लिए क्रूर चेहरे वाला घिनौने व्यक्तित्व का एक गंजा व्यक्ति खड़ा था.. मूंछ सफाचट.. बेतरतीब दाढ़ी उसकी प्रकृतिजन्य कुटिलता को चार चाँद लगा रही थी.. !
दो दीनार..... दो दीनार... दो दीनार...
हिन्दुओं की खूबसूरत औरतें.. शाही लडकियां.. कीमत सिर्फ दो दीनार.. 
ले जाओ.. ले जाओ.. बांदी बनाओ... एक लौंडी... सिर्फ दो दीनार..
दुख्तरे हिन्दोस्तां.. दो दीनार.. !
भारत की बेटी.. मोल सिर्फ दो दीनार.. !
किसी अखबार से जुड़े एक सज्जन अफगानिस्तान के गजनी नामक स्थान गये थे.. ! वहाँ उन्होंने उस जगह को देखा जहाँ हिन्दु औरतों की नीलामी हुई थी ! उस स्थान पर मुसलमानों ने एक मीनार बना रखी है.. जिस पर लिखा है- 'दुख्तरे हिन्दोस्तान.. नीलामे दो दीनार..' अर्थात ये वो स्थान है... जहां हिन्दु औरतें दो-दो दीनार में नीलाम हुईं !
महमूद गजनवी हिन्दुओं के मुंह पर अफगानी जूता मारने.. उनको अपमानित करने के लिये अपने सत्रह हमलों में लगभग चार लाख हिन्दु स्त्रियों को पकड़ कर गजनी उठा ले गया.. घोड़ों के पीछे.. रस्सी से बांध कर..! महमूद गजनवी जब इन औरतों को गजनी ले जा रहा था.. तो वे अपने पिता.. भाई और पतियों से बुला-बुला कर बिलख-बिलख कर रो रही थीं.. अपनी रक्षा के लिए पुकार कर रही थी..! लेकिन करोडो हिन्दुओं के बीच से.. उनकी आँखों के सामने..वो निरीह स्त्रियाँ मुठ्ठी भर मुसलमान सैनिकों द्वारा घसीट कर भेड़ बकरियों की तरह ले जाई गई ! रोती बिलखती इन लाखों हिन्दु नारियों को बचाने न उनके पिता बढे.. न पति उठे.. न भाई और न ही इस विशाल भारत के करोड़ो समान्य हिन्दु ! 
जागो भाई जागो कभी मत कहना 
#हिन्दू @मुस्लिम भाई भाई

हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) है कि

जाने हिन्दू धर्म
👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍हिन्दू धर्म (संस्कृत: सनातन धर्म) है

जिसके अनुयायी अधिकांशतः भारत ,नेपाल और मॉरिशस में बहुमत में है ।इसे 'वैदिक सनातन वर्णाश्रम धर्म' अथवा  सनातन धर्म तथा  वैदिक धर्म भी कहते हैं। यह विश्व का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है। इण्डोनेशिया में इस धर्म का औपचारिक नाम "हिन्दु आगम"
सनातन धर्म पृथ्वी के सबसे प्राचीन धर्म है;  सिन्धु घाटी सभ्यता में हिन्दू धर्म के कई चिह्न मिलते हैं। इनमें एक अज्ञात मातृदेवी की मूर्तियाँ, भगवान शिव पशुपति जैसे देवता की मुद्राएँ, शिवलिंग, पीपल की पूजा, इत्यादि प्रमुख है इस  दृष्टिकोण के अनुसार सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग स्वयं ही आर्य थे और उनका मूलस्थान भारत ही  था ।आर्यों की सभ्यता को वैदिक सभ्यता कहते हैं ।

और आर्यो ने अपने देवताओं को प्रसन्न करने के लिए वैदिक संस्कृत में मन्त्र रचने लगे। पहले चार वेद रचे गए, जिनमें ऋग्वेद प्रथम था। उसके बाद उपनिषद जैसे ग्रन्थ आए। हिन्दू मान्यता के अनुसार वेद, उपनिषद आदि ग्रन्थ अनादि, नित्य हैं, ईश्वर की कृपा से अलग-अलग मन्त्रद्रष्टा ऋषियों को अलग-अलग ग्रन्थों का ज्ञान प्राप्त हुआ जिन्होंने फिर उन्हें लिपिबद्ध किया। बौद्ध और धर्मों के अलग हो जाने के बाद वैदिक धर्म में काफ़ी परिवर्तन आया। नये देवता और नये दर्शन उभरे। इस तरह आधुनिक हिन्दू धर्म का जन्म हुआ। ये आज का इतिहाश बतलाता है ।

प्राचीन ऋषियों ने "हिन्दुस्थान" नाम दिया था, जिसका अपभ्रंश "हिन्दुस्तान" है। "बृहस्पति आगम" के अनुसार:

हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥
अर्थात् हिमालय से प्रारम्भ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है। ऋग्वेद की नदीस्तुति के अनुसार वे सात नदियाँ थीं : सिन्धु, सरस्वती, वितस्ता (झेलम), शुतुद्रि (सतलुज), विपाशा (व्यास), परुषिणी (रावी) और अस्किनी (चेनाब)। एक अन्य विचार के अनुसार हिमालय के प्रथम अक्षर "हि" एवं इन्दु का अन्तिम अक्षर "न्दु", इन दोनों अक्षरों को मिलाकर शब्द बना "हिन्दु" और यह भू-भाग हिन्दुस्थान कहलाया। हिन्दू शब्द उस समय धर्म के बजाय राष्ट्रीयता के रूप में प्रयुक्त होता था। चूँकि उस समय भारत में केवल वैदिक धर्म को ही मानने वाले लोग थे, बल्कि तब तक अन्य किसी धर्म का उदय नहीं हुआ था इसलिए "हिन्दू" शब्द सभी भारतीयों के लिए प्रयुक्त होता था। भारत में केवल वैदिक धर्मावलम्बियों (हिन्दुओं) के बसने के कारण कालान्तर में विदेशियों ने इस शब्द को धर्म के सन्दर्भ में प्रयोग करना शुरु कर दिया। ।
क्रमशः अगले पोस्ट में
              राजेश मणि त्रिपाठी

शिखा रखने के फायदे के वैज्ञानिक आधार भी

शिखा रखने के यह फायदे नहीं जानते होंगे आप
सिखा के महत्व के वैज्ञानिक कारण लंबे बाल  बनाते है हमे बूध्दिमान और सम्बेदनसील
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सिर के पीछे एक केन्द्रस्थान होता है प्राचीन काल में लोग भले ही पूरे सिर के बाल कटवा लेते थे लेकिन इस स्थान के बाल नहीं कटवाते थे। इस स्थान के बालों को शिखा के नाम से जाना जाता है।
आज भी बहुत से लोग हैं जो शिखा रखते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि शिखा के बालों को गांठ लगाकर रखना चाहिए। बहुत से लोग फैशन के चक्कर में शिखा रखना पसंद नहीं करते और इसे कटवा लेते हैं।
जबकि प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि शिखा कटने के मतलब सिर कटना होता है। किसी व्यक्ति को मृत्युदंड दिया जाता था लेकिन किसी कारण उसका सिर नहीं काटा जा सकता था तो उसकी शिखा काट दी जाती थी। शिखा कटे हुए व्यक्ति को दास माना जाता था।

हिन्दूप्राचीन भारत में ऋषि-मुनियों की बुद्धिमत्ता से हम सब परिचित हैं। ऋषि-मुनियों के बाल काफी लंबे होते थे और वे अपने बालों में गांठ लगाकर रखते थे। सिर के ऊपर बालों की यह गांठ ललाट के चुंबकीय क्षेत्र को सक्रिय कर मस्तिष्क के केंद्र में पाइनल ग्रंथि को उत्तेजित करता है। पाइनल ग्रंथि की इस सक्रियता के परिणामस्वरूप एक स्राव होता है, जो उच्च बौद्धिक कार्यकलाप के विकास के लिए केंद्रित है। बाल शरीर की विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का एक कंडक्टर है। सिर के शीर्ष के बाल शरीर में ऊर्जा का संचालन करते हैं। प्राचीन काल में, ऋषि वह व्यक्ति होता था, जिसमें शरीर की ऊर्जा और प्राण के प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता थी। एक "महर्षि" वह व्यक्ति था, जो शरीर में ध्यान से और इच्छानुसार ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता था।
ऐसा माना जाता है कि आपके बालों की युक्तियां एंटीना की तरह हैं, जो ब्रह्मांड से ऊर्जा इकट्ठा करते हैं, ताकि चेतना और रचनात्मकता के उच्च स्तर को प्रोत्साहित किया जा सके। बाल तंत्रिका तंत्र का एक प्राकृतिक विस्तार है और मस्तिष्क को महत्वपूर्ण जानकारी संचारित करने के लिए प्रेरित करते हैं। बाल आपके शरीर के पूरे विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र को संतुलित करते हैं, जिससे आपको अपनी जीवन शक्ति और अंतर्ज्ञान बढ़ाने में मदद मिलती है।

भारतीय योग एवं प्रबंधन संस्थान के कुमार राधारमण कहते हैं, “योग के परिप्रेक्ष्य में, बाल प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है, जो वास्तव में कुंडलिनी ऊर्जा (रचनात्मक जीवन शक्ति) को बढ़ाने में मदद करता है, जो जीवन शक्ति, अंतर्ज्ञान और शांति को बढ़ाता है। यह वैज्ञानिक रूप से भी साबित हुआ है कि जिन लोगों के लंबे बाल होते हैं वे कम थके हुए होते हैं और उनके निराश होने की संभावना कम होती है।”
 बालों में बाहरी प्रभाव को रोकने की शक्ति है। शिखा स्थान पर बाल रहने से बाहरी अनावश्यक सर्दी, गर्मी का प्रभाव नहीं होता और उसकी सुरक्षा सदा बनी रहती है। इससे उस मर्म स्थान में कोई विकार उत्पन्न नहीं हो पाता। यही कारण है कि गुरुकुल परंपरा में शिष्यों की बड़ी-बड़ी शिखाएं होती थीं।
आइंस्टीन को देखा आपने! लियोनार्दो की तस्वीर भी देखी होगी! न्यूटन, गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर से लेकर महान वैज्ञानिक कलाम तक, सबको आपने देखा है, तो बड़े बालों में ही देखा है। आखिर बुद्धिमान बड़े बालों में ही क्यों दिखते हैं?देवताओं के चित्र देखने से भी बालों की महत्ता पता चलती है।
वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि लंबे बाल उत्पादकता और यौवन की निशानी है। बालों के विशेषज्ञ डॉक्टर सचिन अग्रवाल कहते हैं, “सिर के बाल जब अपनी पूर्ण और परिपक्व लंबाई के होते हैं, तो वह प्राकृतिक रूप से फॉस्फोरस, कैल्शियम और विटामिन डी प्राप्त करते हैं, जो अंततः मस्तिष्क के शीर्ष पर दो नलिकाओं के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। यह आयनिक परिवर्तन स्मृति को और अधिक कुशल बनाता है और इससे शारीरिक ऊर्जा, बेहतर सहनशक्ति और धैर्य की प्राप्ति होती है।”
शिखा का सबसे पहला लाभ यह है कि यह व्यक्ति की बौद्घिक एवं स्मरण शक्ति को बढ़ाने का काम कारता है। आपने चाणक्य और कई अन्य प्राचीन विद्वानों की तस्वीरें देखी होगी जिसमें उनके सिर पर शिखा दिखी होगी। यह शिखा इसलिए रखते थे कि उनकी बौद्घिक क्षमता बनी रही।

शिखा के विषय में चाणक्य की एक कथा काफी मशहूर है। जब राजा धननंद ने उनका अपमान किया तो उन्होंने यह शपथ ली थी कि जब तक नंद वंश का अंत नहीं कर दूंगा तब तक अपनी शिखा नहीं बांधूंगा। और इन्होंने अपने शपथ को पूर्ण किया।

एक पाश्चात्य वैज्ञनिक हुए सर चार्ल ल्यूक्स। इन्हों ने शिखा के फायदे पर जब शोध किया तब बताया कि 'शिखा का जिस्म के उस जरुरी अंग से बहुत संबंध है जिससे ज्ञान वृद्घि और तमाम अंगों का संचालन होता है। जब से मैंने इस विज्ञान की खोज की है तब से मैं खुद चोटी रखता हूं'
शिखा रखने का दूसरा फायदा