Thursday 2 August 2018

शिखा रखने के फायदे के वैज्ञानिक आधार भी

शिखा रखने के यह फायदे नहीं जानते होंगे आप
सिखा के महत्व के वैज्ञानिक कारण लंबे बाल  बनाते है हमे बूध्दिमान और सम्बेदनसील
👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍👍
सिर के पीछे एक केन्द्रस्थान होता है प्राचीन काल में लोग भले ही पूरे सिर के बाल कटवा लेते थे लेकिन इस स्थान के बाल नहीं कटवाते थे। इस स्थान के बालों को शिखा के नाम से जाना जाता है।
आज भी बहुत से लोग हैं जो शिखा रखते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि शिखा के बालों को गांठ लगाकर रखना चाहिए। बहुत से लोग फैशन के चक्कर में शिखा रखना पसंद नहीं करते और इसे कटवा लेते हैं।
जबकि प्राचीन ग्रंथों में बताया गया है कि शिखा कटने के मतलब सिर कटना होता है। किसी व्यक्ति को मृत्युदंड दिया जाता था लेकिन किसी कारण उसका सिर नहीं काटा जा सकता था तो उसकी शिखा काट दी जाती थी। शिखा कटे हुए व्यक्ति को दास माना जाता था।

हिन्दूप्राचीन भारत में ऋषि-मुनियों की बुद्धिमत्ता से हम सब परिचित हैं। ऋषि-मुनियों के बाल काफी लंबे होते थे और वे अपने बालों में गांठ लगाकर रखते थे। सिर के ऊपर बालों की यह गांठ ललाट के चुंबकीय क्षेत्र को सक्रिय कर मस्तिष्क के केंद्र में पाइनल ग्रंथि को उत्तेजित करता है। पाइनल ग्रंथि की इस सक्रियता के परिणामस्वरूप एक स्राव होता है, जो उच्च बौद्धिक कार्यकलाप के विकास के लिए केंद्रित है। बाल शरीर की विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा का एक कंडक्टर है। सिर के शीर्ष के बाल शरीर में ऊर्जा का संचालन करते हैं। प्राचीन काल में, ऋषि वह व्यक्ति होता था, जिसमें शरीर की ऊर्जा और प्राण के प्रवाह को नियंत्रित करने की क्षमता थी। एक "महर्षि" वह व्यक्ति था, जो शरीर में ध्यान से और इच्छानुसार ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित कर सकता था।
ऐसा माना जाता है कि आपके बालों की युक्तियां एंटीना की तरह हैं, जो ब्रह्मांड से ऊर्जा इकट्ठा करते हैं, ताकि चेतना और रचनात्मकता के उच्च स्तर को प्रोत्साहित किया जा सके। बाल तंत्रिका तंत्र का एक प्राकृतिक विस्तार है और मस्तिष्क को महत्वपूर्ण जानकारी संचारित करने के लिए प्रेरित करते हैं। बाल आपके शरीर के पूरे विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र को संतुलित करते हैं, जिससे आपको अपनी जीवन शक्ति और अंतर्ज्ञान बढ़ाने में मदद मिलती है।

भारतीय योग एवं प्रबंधन संस्थान के कुमार राधारमण कहते हैं, “योग के परिप्रेक्ष्य में, बाल प्रकृति का एक अद्भुत उपहार है, जो वास्तव में कुंडलिनी ऊर्जा (रचनात्मक जीवन शक्ति) को बढ़ाने में मदद करता है, जो जीवन शक्ति, अंतर्ज्ञान और शांति को बढ़ाता है। यह वैज्ञानिक रूप से भी साबित हुआ है कि जिन लोगों के लंबे बाल होते हैं वे कम थके हुए होते हैं और उनके निराश होने की संभावना कम होती है।”
 बालों में बाहरी प्रभाव को रोकने की शक्ति है। शिखा स्थान पर बाल रहने से बाहरी अनावश्यक सर्दी, गर्मी का प्रभाव नहीं होता और उसकी सुरक्षा सदा बनी रहती है। इससे उस मर्म स्थान में कोई विकार उत्पन्न नहीं हो पाता। यही कारण है कि गुरुकुल परंपरा में शिष्यों की बड़ी-बड़ी शिखाएं होती थीं।
आइंस्टीन को देखा आपने! लियोनार्दो की तस्वीर भी देखी होगी! न्यूटन, गुरुदेव रवींद्रनाथ ठाकुर से लेकर महान वैज्ञानिक कलाम तक, सबको आपने देखा है, तो बड़े बालों में ही देखा है। आखिर बुद्धिमान बड़े बालों में ही क्यों दिखते हैं?देवताओं के चित्र देखने से भी बालों की महत्ता पता चलती है।
वैज्ञानिक भी इस बात की पुष्टि कर चुके हैं कि लंबे बाल उत्पादकता और यौवन की निशानी है। बालों के विशेषज्ञ डॉक्टर सचिन अग्रवाल कहते हैं, “सिर के बाल जब अपनी पूर्ण और परिपक्व लंबाई के होते हैं, तो वह प्राकृतिक रूप से फॉस्फोरस, कैल्शियम और विटामिन डी प्राप्त करते हैं, जो अंततः मस्तिष्क के शीर्ष पर दो नलिकाओं के माध्यम से शरीर में प्रवेश करते हैं। यह आयनिक परिवर्तन स्मृति को और अधिक कुशल बनाता है और इससे शारीरिक ऊर्जा, बेहतर सहनशक्ति और धैर्य की प्राप्ति होती है।”
शिखा का सबसे पहला लाभ यह है कि यह व्यक्ति की बौद्घिक एवं स्मरण शक्ति को बढ़ाने का काम कारता है। आपने चाणक्य और कई अन्य प्राचीन विद्वानों की तस्वीरें देखी होगी जिसमें उनके सिर पर शिखा दिखी होगी। यह शिखा इसलिए रखते थे कि उनकी बौद्घिक क्षमता बनी रही।

शिखा के विषय में चाणक्य की एक कथा काफी मशहूर है। जब राजा धननंद ने उनका अपमान किया तो उन्होंने यह शपथ ली थी कि जब तक नंद वंश का अंत नहीं कर दूंगा तब तक अपनी शिखा नहीं बांधूंगा। और इन्होंने अपने शपथ को पूर्ण किया।

एक पाश्चात्य वैज्ञनिक हुए सर चार्ल ल्यूक्स। इन्हों ने शिखा के फायदे पर जब शोध किया तब बताया कि 'शिखा का जिस्म के उस जरुरी अंग से बहुत संबंध है जिससे ज्ञान वृद्घि और तमाम अंगों का संचालन होता है। जब से मैंने इस विज्ञान की खोज की है तब से मैं खुद चोटी रखता हूं'
शिखा रखने का दूसरा फायदा


मस्तिष्क के भीतर जहां पर बालों आवर्त होता है उस स्थान पर नाड़ियों का मेल होता है। इसे 'अधिपति मर्म' कहा जाता है। यानी यह बहुत ही नाजुक स्थान होता है। हां चोट लगने पर व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो सकती है।

शिखा इस स्थान के लिए कवच का काम करता है। यह तीव्र सर्दी, गर्मी से मर्मस्थान को स्थान को सुरक्षित रखने के साथ ही चोट लगने से भी बचाव करता है।
कामेन्द्रियों को बलवान बनाने वाला तीसरा फायदा

importance of shikha4
मस्तिष्क में जहां शिखा स्थान है वहां शरीर की सभी नाड़ियों का मेल होता है। इसलिए इस स्थान का प्रभाव शरीर के सभी अंगों पर होता है।

सुषुम्ना के मूल स्थान को 'मस्तुलिंग' कहते हैं। मस्तिष्क के साथ ज्ञानेन्द्रियों- यानी कान, नाक, जीभ, आँख आदि का संबंध हैं और कामेन्द्रियों जैसे हाथ, पैर, गुदा, इन्द्रिय आदि का संबंध मस्तुलिंग से हैं।

मस्तिष्क व मस्तुलिंग जितने सामर्थ्यवान होते हैं उतनी ही ज्ञानेन्द्रियों और कामेन्द्रियों की शक्ति बढती हैं। शिखा का यह भी फायदा है कि यह व्यक्ति के मन को भी संयमित करता है। इसे बांधकर रखने से व्यक्ति अपनी काम भावनाओं पर भी नियंत्रण रख पाता है।
राजेश मणि त्रिपाठी

No comments:

Post a Comment